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Vikram Singh Negi 'Kamal'

Inspirational

4.8  

Vikram Singh Negi 'Kamal'

Inspirational

भाग्य

भाग्य

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मैं तो भाग्य भरोसे बैठा था

सोचा न था वो ऐसे देगा दगा।

कल तक तो सबकुछ दिया

आज मेरी खुशियों को दिया भगा।


मैंने भाग्य को कोसा बहुत

दया कर तेरे अलावा कौन मेरा सगा।

वो बोला लानत है तुझ पर

ज़रा अपने अन्दर के आदमी को तो जगा।


सोया पड़ा है आलसपन में

मेहनत के कदम तो मत डिगा।

मेरे भरोसे रहने वाला तो रोया है

मेहनत ने कभी किसी को न ठगा।


मैं छोड़ गया हूँ अगर साथ तेरा

यूं रोकर अपने आंसू मत बगा।

अरे तेरे पास वो चीज़ है

ज़रा उसमें अपने मन को तो लगा।


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