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ज़माना

ज़माना

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वहशत ए ज़माने में कमाल का असर होता है,

इससे चेहरा तो हँसता है, दिल ज़ार ज़ार रोता है,

अनगिन आशिकों कों दफ्न कर चुका है, ज़माने का सितम,

है ये सुराख वो, जो इंसानियत का सफिना डुबोता है,


हर बदलाव को करता है सिरे से खारिज ,

जिनके साथ ताकत हो, ये उनके साथ होता.है,

पर जब कोई बाँध कर साफा, खड़ा होता है बली होने,

उसकी राहे मुबारक में पहले, काँटें लाख बोता है...।








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