दुश्वार हो गया
दुश्वार हो गया
मीलों के फासले तो तय कर लिये थे,
आखिरी दो कदम चलना दुश्वार हो गया,
बहुत हसीं ख्वाबों को देख लिया था, हकीकत को देख लेना
दुश्वार हो गया।
जिन अश्कों को पलकों में कैद कर लिया था, सैलाब को रोकना दुश्वार हो गया,
गमों को जैसे दूर छोड़ दिया था, उसी के साये में खुद को पाना दुश्वार हो गया।
ज़मानेभर की बातों को सुन लिया था, एक चुप्पी को सुन लेना दुश्वार हो गया,
तनहाइयों में रोना सीख लिया था, महफ़िल में हँस पाना
दुश्वार हो गया।
जिन रिश्तों को फूलों से बनाया था, उन्हीं के बोझ तले दब जाना दुश्वार हो गया,
सपने में अपने देखा करते थे, पर सपने में ही अपने को देखना दुश्वार हो गया।
मौत के इंतज़ार में जीना सीख लिया था, उसी मौत को दूर होते देखना दुश्वार हो गया,
सिसकती सांसो के साथ बहुत जी लिया था, आखिरी दो सांस ले पाना दुश्वार हो गया।।