मैं तू बन गयी
मैं तू बन गयी
अब न छू मुझे ऐसे सनम, मैं मैं न रहूँ, कुछ और हो जाऊं !
तूने छुआ मेरी ज़ुल्फ़ को, वो हवा बन के लहरा उठी,
तूने छुआ मेरी साँसों को, वो आंधी बन गईं।
तूने छुआ मेरे होठों को, वो गुलाब बन गए,
तूने छुआ उस गुलाब को, तो शराब बन गयी।
तूने छुआ मेरी पलकों को, तो नींद बन गयी,
तूने छुआ मेरी नींद को, तो ख्वाब बन गए।
तुने छुआ मेरी तन्हाई को, तो मेले जम गए,
तूने छुआ हाल - ए - दिल को, तो अफसाना बन गया।
तूने छुआ मेरी धड़कन को, तो गीत बन गए,
तूने छुआ मेरे ख़याल को, तो नशा बन गया।
तूने छुआ नहीं जो मुझ को, मैं बिखर - बिखर गई,
तूने छू लिया जो मुझको, मैं निखर - निखर गई।
तूने छुआ मेरे दिल को, तो प्यार बन गया,
तूने छू लिया मुझ को, तो मैं तू बन गयी...।।