आखिर क्यों ?
आखिर क्यों ?


है ये कैसा अजीब - सा आलम, जिससे है अंजान हम,
कल कुछ और थे, आज कुछ और है हम।
क्यों दिल मेरा कुछ अलग से धड़कना चाहता है ?
क्यों ये पागल दिल उदासी महसूस करना चाहता है ?
क्यों हमारी ये जुल्फें, लहराते हुए, रूठकर हम ही से
चाहती हैं संवरना किसी अजनबी के प्यार से ?
क्यों ये आँखें तरस जाना चाहती हैं इंतज़ार करके ?
क्यों ये नज़रें भी मुड़ - मुड़ के पीछे देखना चाहती है ?
क्या हो गया है पांव को जो रुक - रुक के चलना चाहते हैं ?
क्यों ये बेल किसी पेड़ से लिपट जाना चाहती हैं ?
क्यों ये पलकें उठ के झुक जाती हैं पर झुक के नहीं उठती ?
क्यों ये निगाहें किसी के लिये राह में पथराना चाहती हैं ?
आखिर किसका इंतज़ार है ये ?
कौन है वो जिसकी जन्मों से तलाश है ?
कौन है वो, जो नहीं है फिर भी इंतज़ार उसी का है ?