सूखे रंगीन पत्ते
सूखे रंगीन पत्ते
बटोर कर , संभाल कर रखी है,
कुछ पत्तियां ।
नंगे पांव , गुज़रा था ,
हौले से ,
हरे रंग की चुन्नी में लिपटा,
साया दिल अज़ीज।
आवाज़ चलने की ,
पायल की ताल पर।
छन्न - छन्न कर ।
सुकुं भी गया साथ लेे कर।
सरसराहट कुछ हवाओं में थी,
कुछ अंदरखाने मेरे।
बीन कर रखा है , उन पत्तियों को,
पांव जिन पर पड़े थे तेरे।
किताब ए मोहब्बत लिख नहीं पाता,
ख्वाब अधूरा ही रह जाता।
हर पन्ने पर,
गर एक पता न आता।

