STORYMIRROR

Dr Jogender Singh(jogi)

Romance

3  

Dr Jogender Singh(jogi)

Romance

सूखे रंगीन पत्ते

सूखे रंगीन पत्ते

1 min
285

बटोर कर , संभाल कर रखी है,

कुछ पत्तियां ।


नंगे पांव , गुज़रा था ,

हौले से ,

हरे रंग की चुन्नी में लिपटा,

साया दिल अज़ीज।


आवाज़ चलने की ,

पायल की ताल पर।

छन्न - छन्न कर ।

सुकुं भी गया साथ लेे कर।


सरसराहट कुछ हवाओं में थी,

कुछ अंदरखाने मेरे।

बीन कर रखा है , उन पत्तियों को,

पांव जिन पर पड़े थे तेरे।


किताब ए मोहब्बत लिख नहीं पाता,

ख्वाब अधूरा ही रह जाता।

हर पन्ने पर,

गर एक पता न आता।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance