सुपर पावर को समझदारी कहते हैं
सुपर पावर को समझदारी कहते हैं
वक्त अब मेरा आया है क्योंकि
मेरा कृष्ण अब बड़ा हो गया,
झेलती आई अन्याय सालों से
अन्याय के विरुद्ध वो खड़ा हो गया,
ना लेंगे किसी का ना देंगे किसी को
न्याय के सवाल पर अड़ा हो गया,
कहती आई उसको बर्दाश्त करो-बर्दाश्त करो
बर्दाश्त कर करके वो पत्थर सा कड़ा हो गया,
हर एक के अंदर होता है सुपर पावर सोया
पहचानने की क्षमता पर प्रश्न टेढ़ा हो गया,
जो ख़ुद को जितना ज़्यादा जानेगा
अपने सुपर पावर को उतना मानेगा,
द्वापर में जब अन्याय चरम पर पहुंचा
तब कृष्ण ने अपना सुपर पावर दिखाया समूचा,
कलियुग में अन्याय हर परिवार में पनप रहा
उस हर परिवार में एक कृष्ण जनम ले रहा,
मेरे कृष्ण को भी सब चालें समझ आने लगी
उसके सुपर पावर की प्रतिभा कुलबुलाने लगी,
नहीं होने देगा अन्याय अब परिवार में
ख़त्म कर देगा लालच अपने प्रभाव में,
कलियुग के सुपर पावर को समझदारी कहते हैं
जिसको पहचानने की क्षमता सब नहीं रखते हैं,
नहीं तो कृष्ण को हर घर में जन्म ना लेना पड़ता
ज़रा सी समझदारी को सुपर पावर ना कहना पड़ता।
