सुनो एक बात कहनी है
सुनो एक बात कहनी है
सुनो,
एक बात कहानी है
गर गलत न समझो तो
तो कह कर हल्का हो लूँ
हाँ अगर तुम्हें भली ना लगे
तो कुछ ना कहना और चली जाना तुम
पर एक इल्तजा है सुन लो “ना” ना कहना
दिल कहीं भारी ना हो जाए
बड़ी हिम्मत से
हिम्मत मैंने जुटाई है
तुमसे बात कर पानी की जुगत मैंने लगाई है
पर कहीं इंकार तेरा हो जाए
तो फिर कहीं बिन कहे ना रह जाऊँ
पता हैं मुझको की मैं तेरा प्यार नहीं
तेरी नज़रों में तो मैं हूँ तेरा प्यार नहीं
लेकिन क्या करूँ मैं अपने दुश्मन दिल का
बिना तेरे कहीं इसको मिलता करार नहीं
मेरा दिल हीं मेरा दुश्मन ब बैठा है
समझाया लाख मगर मुझसे हीं रूठा बैठा है
ना जाऊँ तेरी ओर अगर तो धड़का छोड़ दे
खुद को जेलर और मुझे ग़ुलाम बनाकर बैठा है
तुम जाओगे ये मुझे ना सोने देगा
खाएगा लाख जख्म पर एक ना सीने देगा
हर आकर बिखरेगा तेरी राहों में
मगर एक बार भी मुझको ना तुझसे कहने देगा।