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SHREYA PANDEY .

Abstract

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SHREYA PANDEY .

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सुंदरता

सुंदरता

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सोच रही थी बड़ी देर से, क्या पंक्तियां मैं सुझाऊँ

जिनके द्वारा अपने साथ साथ सबका दिल मैं बहलाऊँ।

तभी अचानक एक आवाज़ ने, गहरा सन्नाटा तोड़ दिया

कुछ टूटे शीशे के टुकड़ों ने, मेरा सारा ध्यान बटोर लिया।

टूटे शीशे से झांक रही थी, मेरी ही तस्वीर

बिगड़ी हुई सूरत ने कर दिया मुझे अधीर।

एक विषय जो दिमाग में बुझा, कलम उठाकर लिखने का सूझा

अपना मुख जो दिखा बिखरता, तभी मुझे मिला विषय सुंदरता।


सही अर्थ ना मुझे पता क्यों कहलाती यह सुंदरता

यह तो है एक सुहावना भाव, जो बन गया आजकल एक अभाव।

पैसा और सुंदरता ही आज का है आधार, इनसे मुक्त बन जाते बेकार

पर नासमझ दुनिया समझती नहीं दिल से सुंदर ही बनाते संसार।

पैसा और प्यार तो मोह माया है, दिखावटी सुंदरता से किसने कुछ पाया है

हमारी काली छाया ने भी सिर्फ उजाले में साथ निभाया है।

मुख सुंदर दिखाने के लिए टुकड़ों को जोड़ा जा सकता है

यदि दिल सुंदर हो तो संसार जोड़ा जा सकता है।।


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