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Amit Kumar

Abstract Romance Inspirational

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Amit Kumar

Abstract Romance Inspirational

सुकूँ

सुकूँ

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कहाँ खो गया है

जाने दिल का सुकूँ

कहीं ढूंढ़ते है हम

दिल का सुकूँ

रहमतों से परहेज़ नहीं

मगर रिश्वत से खिलाफत है

अजब सी है मगर

दिल की यहीं आदत है

कहने से नहीं चुकता वो

फिर फूल चुभे या शूल

कहाँ खो गया है जाने

दिल का सुकूँ

तेरा ही तलबगार है

और तेरा ही रहेगा

हर सितम को तुम्हारे

अब उम्र भर सहेगा

कोई शिकायत यह

अब न किसी से कहेगा

तुम पास आ जाओ

चाहे चले जाओ अब दूर

कहाँ से लाओगे तुम भी

अब यह दिल का सुकूँ....

          


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