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Randheer Rahbar

Drama

3  

Randheer Rahbar

Drama

सुबह का भुला

सुबह का भुला

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मन व्यथित मेरा, तन पीड़ा है,

ए - मीत मेरे तुम लौट आओ I

रुकी प्राण संवेग प्रिये,

सुबह के भुले लौट आओ I


हुए जो मन - अंतर हैं,

आ बैठ निकट, फिर आ जाओ I

सुलझा लेंगे मन व्यथा,

सुबह के भुले लौट आओ I


वो आंगन तुझ बिन विरह में,

देहलीज़ की रज फिर लौटाओ I

घर हरा - भरा, हो फिर चहल - पहल,

सुबह के भुले लौट आओ I


सावन की सुनी कलाई में,

चूड़ी हरी फिर खनकाओ I

वो मेहंदी का रंग गहरा है,

सुबह के भुले लौट आओ I


वो गलियां तुम बिन सुनी है,

चौपाल पे फिर तुम आ जाओ I

सुध मीत तुम्हारी लेते हैं,

सुबह के भुले लौट आओ I


आ बूढ़ी माँ की सुध ले लो,

व्याकुल ममता से फिर बंध जाओ I

कुल रीत रही, क्यों बिसरे हो,

सुबह के भुले लौट आओ I


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