सुबह का भुला
सुबह का भुला
मन व्यथित मेरा, तन पीड़ा है,
ए - मीत मेरे तुम लौट आओ I
रुकी प्राण संवेग प्रिये,
सुबह के भुले लौट आओ I
हुए जो मन - अंतर हैं,
आ बैठ निकट, फिर आ जाओ I
सुलझा लेंगे मन व्यथा,
सुबह के भुले लौट आओ I
वो आंगन तुझ बिन विरह में,
देहलीज़ की रज फिर लौटाओ I
घर हरा - भरा, हो फिर चहल - पहल,
सुबह के भुले लौट आओ I
सावन की सुनी कलाई में,
चूड़ी हरी फिर खनकाओ I
वो मेहंदी का रंग गहरा है,
सुबह के भुले लौट आओ I
वो गलियां तुम बिन सुनी है,
चौपाल पे फिर तुम आ जाओ I
सुध मीत तुम्हारी लेते हैं,
सुबह के भुले लौट आओ I
आ बूढ़ी माँ की सुध ले लो,
व्याकुल ममता से फिर बंध जाओ I
कुल रीत रही, क्यों बिसरे हो,
सुबह के भुले लौट आओ I
