मेरी प्रेरणा स्त्रोत बन गया यह सड़कों का इंसान। मेरी प्रेरणा स्त्रोत बन गया यह सड़कों का इंसान।
उसका आँचल धूप में,सुखमय शीतल छाँव, देख सुघड़ संतान को, उसको मिलता। उसका आँचल धूप में,सुखमय शीतल छाँव, देख सुघड़ संतान को, उसको मिलता।
तेरे पीछे पीछे मैं कहाँ तक आ गया, तू घर से निकली सजनी। तेरे पीछे पीछे मैं कहाँ तक आ गया, तू घर से निकली सजनी।
कुल रीत रही, क्यों बिसरे हो, सुबह के भूले लौट आओ I कुल रीत रही, क्यों बिसरे हो, सुबह के भूले लौट आओ I
कोई न लेता सुध हमारी है दिन-ब-दिन बढ़ती बेरोजगारी है। कोई न लेता सुध हमारी है दिन-ब-दिन बढ़ती बेरोजगारी है।
बृज का हर वासी अपनी सुधबुध खो जाता है। बृज का हर वासी अपनी सुधबुध खो जाता है।