कृष्णा
कृष्णा
नटखट कान्हा जब बंसी की धुन बजाता है
गोपियों का मन बस में कहां रहता है।
माखन चोर जब घर घर जाकर माखन चुराता है
माखन खा मटकी फोड़ के आता है।
सुदर्शन चक्र धारी जब अपना चक्र चलाता है
शत्रु का पल में सर्वनाश हो जाता है।
यशोदा का लाल जब जब वन में रास रचाता है
बृज का हर वासी अपनी सुधबुध खो जाता है।
