सड़कों का इंसान
सड़कों का इंसान
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देखो कैसे जी रहा यह सड़कों का इंसान
देखो कैसे सो रहा यह सड़कों का इंसान
सर पर छत ना तन पर कपड़ा
खाने को रोटी ना है साजो सामान
फिर भी कितना खुश है
यह सड़कों का इंसान।
आज की सुध ना कल की चिंता
हर पल जीता मस्ती में
देखो कितना बेपरवाह है
यह सड़कों का इंसान।
तपे धूप में ठंड में ठिठुरे
भीगे फिर बरसात
फिर भी कितना है संतुष्ट
यह सड़कों का इंसान।
देख देख इसको लेते हैं
हम जीवन की प्रेरणा
थोड़ा बहुत कमी हो तो
जीवन से ना हारना
मेरी प्रेरणा स्त्रोत बन गया
यह सड़कों का इंसान।