सरहद का रक्षक
सरहद का रक्षक
चलो आज चल देखे जरा,
सरहद के उस रक्षक को,
देखो ठिठुरन भरी रात में वो,
न ठिठुरन से डरता हैं,
तज कर निज सुख दुःख,
देश की रक्षा करता हैं,
चाहे तपन फिर गर्मी की हो,
कर्तव्य पथ से न हटता हैं,
देखो वीर सपूत धरा का,
देश भूमि की रक्षा करने
सर्वस्व खुद का तजता हैं,
प्रणाम तुम्हे हे वीर सपूतों,
तुम सम न कोई बलिदानी हैं,
कष्टो पर मुस्कुरा जिसने,
देश सेवा की ठानी हैं,
हर पल यू सहज भाव से
हम सबकी रक्षा करते हो,
गम हो या खुशी के पल
सरहद पर ही रहते हो।
कण कण अपना कर समर्पित
देश की सेवा करते हो,
हैं सलाम आज तुम्हे,
संग कोटि कोटि नमन हैं,
नतमस्तक हैं देशवासियो का,
लख लख अभिनंदन हैं।