स्त्री मान
स्त्री मान
जब रक्षक भक्षक हो जाते हैं
अपना दिलं तूट जाता है
मान कहा नहीं सन्मान स्त्री का
इसे तो कलियुग बतिया जाता है !! धृ!!
खुन क हा वो रिश्ता जिसका
समाज मे उसे माने ना
किधर गया रे पापी जानवर तू
लज्जा कर स्त्रिसे जन्म तेरा होता है !!१!!
नाल तेरी वो सेह के पेट मे
मृत्यू के द्वार वो जाती हैं
कूछ तो शरम बक्ष ले बेटा
तुझे खुद का नुर वो मानती हैं !!२!!
दूर्व्यवहार ना कर ऐ जालीम
वासना से पापी तू ना बन
नजर तेरी सिधे कर ले
स्त्रीसे अस्तित्व तेरा अटल हैं !!३!!
धागा धागा हैं सच्चा जान
मत कर गलती उसे कम समजनेकी
भुषण तेरा इज्जत देना
असली तेरा यही कर्तव्य हैं !!४!!
वा रे तेरा पुरुष बनना
अत्याचार को क्यों तू भाता हैं
स्त्रीशक्तीका पैलू भारी पडेगा
अंतिम परिणाम सिर्फ महाभारत हैं !!५!!
जाग जा रे छलिया तू
क्यो अहंकार से टकराता हैं
हंस ले अभी, रोना पडेगा बाद में
समय ही तेरी शिक्षा हैं !!६!!
