ख्वाहिश
ख्वाहिश
दीप का दीप से हो प्रज्ज्वलन
सुख शांति का हो पदार्पण
अमन चैन का हो आगमन
काश लग जाए मेरे हाथ
कोई अलादीन का चिराग
कर दूं सम्पन्न सब बेसहारा लाचार बेबसों को।
मिटा दूं जात पात ज़हरीले भेदभाव मत भेदों को।
खुशियां हो चहुं ओर और मंगल हो
हर पीड़ा का हो निदान स्वाभाविक हो।
पूजनीय हो इंसान इंसानियत ही
ना ही हो धर्म पर वाद विवाद
ना ही हो चर्चा जात पात
बदल जाए मेरा भारत
हां हो महान मेरा देश भारत
गुँजे ध्वनि प्रखर चहुँमुखी
भारत के विकास और उन्नति की
ये ख्वाहिश मेरी ख्वाहिश ना हो
बस इसका जाग्रत स्वरूप हो
