अमर प्रेम कहानी
अमर प्रेम कहानी
थी एक सुन्दर सी राजकुमारी
एक राजकुमार से प्यार करती थी
राजकुमार था बलवान योद्धा
दोनों की अमर प्रेम कहानी
पूरे राज्य मे चर्चे होने लगे थे
एक दिन राजकुमार को
जाना पड़ा रणभूमि में
बात थी राज्य के
आन, बान, शान की
राजकुमार की जुदाई में
उदास व्याकुल वो रहने लगी थी
ना कोई खबर मिलती
न कोई संदेश मिला उसको
क्या जिवित है उसका प्यार
या इतिहास के पन्नों मे हो गया अमर
ये जानने को उसने भेजा एक हंस
दिया उसे अपने गले का हार
सुन ए हंस
मिले जो वो कहना कुशल मंगल मेरा
उनको जीत के आना होगा
इसमे ही है अभिमान मेरा
करके स्वीकार इस माला को
बना ले वो मुझे अपनी अर्धांगिनी
कहलाऊँगी मैं एक वीर योद्धा की पत्नि।

