STORYMIRROR

Arunima Bahadur

Action

4  

Arunima Bahadur

Action

पौरुष

पौरुष

1 min
218

बिलख रही जब तक वसुधा,मानवता के हरण से।

पौरुष मानव तेरा है सोया,असत्य के ही वरण से।।


कही हनन अधिकारों का है,कही कर्तव्यहीनता है।

प्रेम भी कही सो गया है,फैली करुणाहीनता है।।


जाग हे नर,अब कदम उठा कर, अन्याय पर वार कर।

मौन तोड़ अब युगों का अपना,असत्य पर प्रहार कर।।


जाग गया जो तेरा पौरुष, श्री राम का अवतरण होगा।

तेरे ही पौरुष बल से,हर रावण का भी अब अंत होगा।।


देख जरा संस्कृति की सीता, श्री राम मिलन को तड़प रही।

असुरों की सेना भी उसको,पल पल कितना बिलखा रही।।


आज जाग ले , तू बन हनुमान, टोह ले आ जरा संस्कृति की।

एक छलांग लगा,लांघ ये दूरी,जगा अलख मानवता की।।


जाग गया आज जो पौरुष, अंत अन्याय का तब होगा।

मानवता की पुनः जागृति का,अदभुत वो दृश्य होगा।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action