सॉंड पकड़ने वाला वीर
सॉंड पकड़ने वाला वीर
ग़ुस्सैल भयंकर साँड के सामने डटा
वीर साहसी हिम्मतवाला आदमी,
दोनों सींगों को पकड़ वश में किया
जबकि सॉंड कभी पालतू नहीं बनता।
साहस का काम है सॉंड को पकड़ना
सॉंड पूरे ग़ुस्से में है लगता ,
दोनों पैरों को ऊपर उठाकर
दूसरे को मार गिराने को तत्पर।
पूरी तेज़ी से दौड़ता आता सॉंड
पर आदमी भी है चुस्त दुरुस्त ,
पीली काछनी और नारंगी साफ़े में
नंगे बदन है सॉंड को पकड़ने वाला।
सॉंड कभी वश में नहीं होता
उससे रहना पड़ता हमेशा सावधान।
ज़रा सा मौक़ा पाते ही वह वार कर देता
सहनशील है, पर नहीं भूलता बदला लेना।
वृषभ शिव जी का वाहन कहलाता
वृषकेतु वृषध्वज वृषभांक हैं शिवनाम ,
नन्दलाल बोस का बनाया यह चित्र
उनकी प्रसिद्ध सजीव टेम्परा पेंटिंग है।
अवनीनद्र नाथ टैगोर के शिष्य थे वे और
कला भवन शांतिनिकेतन के प्राचार्य थे ,
मूल संविधान पर भी इनकी चित्रकारी है
आधुनिक चित्रकला के यशस्वी प्रवर्तक हैं।
