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anju Singh

Fantasy

4  

anju Singh

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सपने

सपने

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खुद के सपनों को सोच तो

तू आगे बढ़ कर देख तो

थोड़ा आगे ही, जीत है।

तो क्या हुआ,

जो सब कुछ अभी विपरीत है।।


इक शूल का स्थान भी,

ना है बचा पैरों तले,

मत रोक खुद को तू अभी,

अब जब यहां तक आ गया।

मंजिल बस दो पग दूर है,

बस दो पग की ही जीत है।।


क्यूं ? अभी तू टूटता

क्यूं ? चुपचाप बैठा सोचता

कोई तुझसा ना तेरा मीत है।

भरोसे से ही जीत है,

तो क्या हुआ,

जो सब कुछ अभी विपरीत है।।


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