सफलता
सफलता
तू कर कल्पना को साकार
उठा कदम, बढ़ा कदम
रख खुद पर दृढ विश्वास
इस जग में जीत जाएगा
जो पाना है तुझे पाएगा
मंजिल कब चल कर आती है
तुझे खुद ओ पास बुलाती है
समय को परख, लगन रख
मंजिल तो आखिर हार जाती है
उपहास को सदा स्वीकार कर
मौन रह, तू निरंतर प्रयास कर
मार निशाना जो भी अचूक हो
कोई न अपने काम में चूक हो
अपने मन को दीप्तिमान कर
खुद पर न कभी अभिमान कर
सौम्यता, बख्श देगी एक दिन
तू अपने को चलायमान कर
मत ठहर, बहता जा तू धार बन
अपने जीवन का कर्णधार बन
त्याग करना होगा, सुख चैन को
लक्ष्य प्राप्त होगा, दिवस बना रैन को
तू न विचलित होना असफलता से
न अधिक प्रफुल्लित, एक सफलता से
तेरी मंजिल क्या है सदा ये ज्ञान रहे
तेरे हौसलो में उफनाती ही जान रहे
मत घबराना तू कभी इम्तिहान से
कदम न रुक जाये कभी, ध्यान से
धार न गोठी हो कभी तलवार की
तू शीला पर उसे रगड़ बस जान से
बाधाएं बहुत मिलेंगी तेरी राह में
पर न विचलित, उस क्षण होना कभी
तब सम्हलकर लाँघ जाना इस चाह में
पार उसके ही सफलता मौन खड़ी है
हार जाने पर मंजिल अभी दूर पड़ी है
बार बार एक प्रयास हर बार कर
हार हार कर भी एक दिन जीतेगा
धैर्य रख लक्ष्य पर फिर नजर रख
लगन ही तुझे मंजिल तक खिंचेगा
मंज़िल तेरी तुझसे हार ही जायेगी
चतुर्दिक तेरी गाथा गायी जायेगी
विघ्नो को हर हाल में हटना पड़ा है
जब मानव यत्नो से ही आगे बढ़ा है
मुश्किले भी सर झुका नमन किये हैं
प्रयत्नों से बाधाऒं को जो दफन किये है
तू जगत में है यशस्वी हे! धीर पुरुष
तूने ही हर जन को एक मंत्र दिए है
हार, भी हार कर दूर कही जाएगी
आज हार कर गले की हार बन जाएगी
चारो ओर तुझे उजाला ही दिख जाएगा
कल तक जो तुझे पहचानते नहीं थे
आज उनका तू, सच, खास कहलायेगा
