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Brijlala Rohan

Tragedy Inspirational

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Brijlala Rohan

Tragedy Inspirational

सफलता का सफर

सफलता का सफर

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फर्श से अर्श तक पहुँचने का सफर फिलहाल जारी है।    

हौसले बुलंद हैं मेरे ,उम्मीदें सबकी मुझपे टिकी हैं।       

मंजिल तक पहुंचने की आई अब बारी है।

हो रही तैयारी जोर - शोर से विजय - घोष की।

ये आहट है उन्नति की उद्घोष की। 

खोने को कुछ बचा नहीं! बस पाने की अब बारी है।

कुछ कदम भले ही पीछे हटे!

मगर मार्ग से पलायन अब हो नहीं सकता!

कुछ लड़ाई हारने में ही सूझबूझ, होशियारी है।

फर्श से अर्श तक का सफर सुहाना जारी है।   

संकल्प- संयम- साहस से अब पग - पग बढ़ाने की बारी है।

इसी में परहित निहित है ,इसी में समझदारी है।       

विजयोत्सव की करो तैयारी, मंजिल पाने की अब बारी है। 

सबको साथ लेकर चलना है, सबकी समान भागीदारी है।  

बस मंजिल पाने की बारी है।


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