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Sonam Kewat

Inspirational Tragedy

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Sonam Kewat

Inspirational Tragedy

सफेद रंग

सफेद रंग

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ये जमाना मेरे हर रंगों को जलाता है,

फिर भी सफेद रंग तेरा ख्वाब दिखाता है।


शादी हुई थी जब एक घर मैंने बसाया था,

तूने और मैंने एक साथ ख्वाब सजाया था।


अचानक मौत ने तेरी मुझे बिना जल के मीन किया,

फिर समाज ने बचीं खुशियों को छीन लिया।


जाने क्यों इस समाज का अपना ही किस्सा है,

कहते हैं अक्सर कि सफेद रंग ही मेरा हिस्सा है।


आखिर क्या होगा ? इस सफेद रंग को लपेट कर,

क्या आ पाओगे तुम फिर से मेरे पास लौटकर।


बड़ी ही अजीब इस समाज की विचारधारा है,

मेरे रंग-बिरंगे सपनों को सफेद रंग ने मारा है।


एक दिन मैंने तुम्हारे हरे रंग का श्रृंगार किया,

अनगिनत तानों ने फिर बढ़ाई मेरी सिसकियाँ।


कहने लगी कि मेरे पति के जाने का गम नहीं,

कैसे बयां करूँ मेरे जख्मों का यहाँ मरहम नहीं।


सो गई यह सोचकर शायद मेरे जीने का सार नहीं,

जीने देगी दुनिया कैसे जब कोई भी मेरा यार नहीं।


सपना देखा मैंने और शायद तुमने ही पुकारा था,

अरे ! नहीं वह तो तुम्हारे जैसा ही कोई साया था।


देखा मैंने कि मेरे गर्भ में तुम्हारा ही वारिस है,

कहा मुझसे बिखेर दूंगा मैं रंगों की बारिश है।


एहसास हुआ मुझे कि वह सफेद रंग मिटाएगा

इन्द्नधनुष जैसा रंग वही जिंदगी में फैलाएगा।।


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