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KAVITA YADAV

Romance

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KAVITA YADAV

Romance

सोलमेट(१२)

सोलमेट(१२)

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आप हमसफ़र हो मेरे 

आप मेरे जीवन की रफ्तार हो

मैं सोच ना सकूँ,

वो मेरे जीवन का आधार हो


कभी ये अंदाज लगाना भी मुश्किल है

की आप ना चाहते हुए भी,

एक अधूरी 

सी मेरी मुस्कान हो


दुखों में मेरे बढ़कर,

आसुओं को पोछो

ना मांगा सात जन्म साथ

इस जीवन को ही साकार कर दो


अजनवी सी जो नोका में आ जाती है

ना जाने वो कोन सी घड़ी है

मिलकर गैरों से ना,

अपनों का अपमान कर दो


परेशान सी अजीव जगह बन गयी है

रहने को महलों सी कहने लगी है

इन गलती की बेकार मूरत को

अपने से कोसो दूर कर दो


हमसफ़र बने ना सही 

इस धुंधली सी आंधी को 

दूर से ही नमस्कार कर दो।


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