Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

सोलमेट(१२)

सोलमेट(१२)

1 min
165


आप हमसफ़र हो मेरे 

आप मेरे जीवन की रफ्तार हो

मैं सोच ना सकूँ,

वो मेरे जीवन का आधार हो


कभी ये अंदाज लगाना भी मुश्किल है

की आप ना चाहते हुए भी,

एक अधूरी 

सी मेरी मुस्कान हो


दुखों में मेरे बढ़कर,

आसुओं को पोछो

ना मांगा सात जन्म साथ

इस जीवन को ही साकार कर दो


अजनवी सी जो नोका में आ जाती है

ना जाने वो कोन सी घड़ी है

मिलकर गैरों से ना,

अपनों का अपमान कर दो


परेशान सी अजीव जगह बन गयी है

रहने को महलों सी कहने लगी है

इन गलती की बेकार मूरत को

अपने से कोसो दूर कर दो


हमसफ़र बने ना सही 

इस धुंधली सी आंधी को 

दूर से ही नमस्कार कर दो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance