सनम
सनम
रख लिया दिल गिरवी ,हसीना ने ।
सांसे बची हैं ,जैसे तैसे।
छत पर खडी़ थी ,बन ठन कर ऐसे ,
हो !चौहदवी़ का चांद अम्बर में जैसे !
तीर सा लगा जिगर में ,नैनो का वो वार करारा !
दिल हारा , जान हारा , फिर दिलदार भी हारा !
जिंदा निकल आये "जोगी" जिस की गली से !
कातिल उस को , कह दोगे कैसे ¿¿!!!!