संगीत की धुन
संगीत की धुन


मिलते बिछड़ते कभी कभार जो
तुझ पर आकर रुकती हूं मैं
गम खुशी और दर्द में भी
तेरी धुन को सुनती हूं मैं।
तुझ में जो खो जाऊं कभी तो
दुनिया को भूल जाती हूं मैं
खुद को तन्हा पाती हूं जब
तुझ से खुद को मिलाती हूं मैं।
सुर अपना तुझ में मिलाकर
संग तेरे ही गुनगुनाऊं मैं
बिछड़े अपने की याद में अक्सर
फिर क्यों रोने लग जाऊं मैं।
की कभी जो किसी ने प्रीत
और न मिलें जब उसमें जीत
लेकर सहारा तेरी धुन का
तुझमें गम भुलाए बिछड़े मीत।
प्रसिद्ध कभी न वो नाम होता
न प्रीत का जग में कोई काम होता
राधा के मन को जो थी लुभाती
वो मधुर दर्द श्याम की बांसुरी गाती।