संगीत ईश्वर की रूह है
संगीत ईश्वर की रूह है
"दिन का एक पहर खुद को खुश करने पर खर्च करना गुनाह तो नहीं"
संगीत ईश्वर की रूह है और नृत्य आराधना कभी सोचा है?
हर धुन में उन्माद छुपा होता है महसूस करो
और पैरों की आलस को रिहाई देकर नखशिख मुखर होते बिजली को आह्वान दो,
हर अंग में लचक भरते
हर्षित होते तन को इजाज़त दे दो
आत्मा को उड़ने दो...
प्रकृति को सुनों, सच में गाती है यार
उगते सूरज की आहट जीवन का राग है...
करवट लेती कली जब जवान होने की कोशिश करती है तब आलाप छेड़ते कहती है,
मेरे तन की अंगड़ाई से बह रही रागिनी को विजेता घोषित करो..
झूमो, घूमर की शैली को अंगों की शोभा बनने दो अतरंगी मन आह्लादित होते खुशियों की बारिश करेगा..
अवसादी तरंग को अलविदा कह देगा नृत्य,
साँसे थक चुकी है? हल्का ठुमका लगाईये ऊँगलियों की थाप पर किसी वाद्य को जगाईये,
छेड़िए सोए हुए तारों को सरगम हवाओं को रोमांचित कर देगी..
संगीत, नृत्य और तन की त्रिवेणी में नहाकर देखिए मन में सुकून की मंदाकिनी बहेगी।
