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Sonam Kewat

Tragedy Classics Inspirational

4  

Sonam Kewat

Tragedy Classics Inspirational

संघर्ष जारी हैं

संघर्ष जारी हैं

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कमाने के वक्त यह डिग्रियां 

कभी काम नहीं आती हैं 

मैं बहुत कुछ करना चाहतीं थीं 

पर तकदीर कहीं और ले जाती है 


अब लगता है कि जिंदगी की 

दौड़ में मैं कहीं पीछे छूट चुकी हूं 

कभी खुद से प्यार था पर 

अब तो खुद से भी रूठ चुकी हूं 


समझ नहीं आता जिम्मेदारियां तो है 

शायद मैं उनके लायक नहीं बन पाती हूं 

लोग तो अब भी भीड़ में गुम है 

फिर क्यों मैं खुद को अकेला पाती हूं 


मैं तो कुछ कर ही नहीं पाई 

अब यही अफसोस होता है 

घर में एक कोना है बस वही 

बैठे-बैठे यह दिल खूब रोता है 


आखिर कहीं तो हो जहां मैं खुद को 

जिम्मेदारियों तले साबित कर पाऊं 

कोई तो वक्त बदल जाए मेरा

जब अपना नाम मैं गर्व से बताऊं 


पैसा कमाना है नाम कमाना है 

और बहुत कुछ है कमाने के लिए 

जब लोग पूछते हैं करती क्या हो 

कुछ होता ही नहीं बताने के लिए 


सच है कि तकदीर जितना देती है 

उससे ज्यादा ही अपने आप लेती है

समझों कि जिंदगी का संघर्ष जारी है 

देखो कब ये तकदीर साथ देती है।


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