संभालकर रखा है ख़त
संभालकर रखा है ख़त
आज भी संभालकर रखा है मैंने वो ख़त
वो यादें,
वो लिखा हुआ मेरी बहन का ख़त।
शादी के बाद आये कुछ ऐसे हालात नहीं आ पाई वो घर
एक भाई से मिलने बहन प्यारी राखी के अवसर पर।
भाई को एक प्यार भरा ख़त लिखा
साथ मे माँ-बाबा और मेरा भी ज़िक्र था।
आज भी संभालकर रखा है मैंने वो ख़त।
बड़ी सुंदर सी राखी भेजी थी ख़त के साथ,
लिखा था ख़त में, मैं ना आ पाऊँगी अबकी बार।
सब के पूछे हालचाल, अपना भी बताया ख़ुशहाल
आज भी संभालकर रखा है मैंने वो ख़त।
मेरी तरफ़ से भाई को बाँधना राखी, दुआएं हमेंशा मेरी रहेगी साथ,
कहकर मुझे संदेश भेजा था, पढ़कर आँखें हुई थी नम।
आज भी संभालकर रखा है मैंने वो ख़त।
कहाँ पता था उसको कि वो उसका आख़री ख़त होगा
फ़िर ना कभी वो आई , ना कभी आया कोई ख़त।
मेरी प्यारी बहन, अल्लाह को प्यारी हो गई,
आज भी बांधती हूँ मैं उसके नाम से भाई को राखी।
हो जाती मैं जज़्बाती, अब नही पढ़ पाती कोई हर्फ़।
आज भी संभालकर रखा है मैंने वो ख़त।