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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Tragedy

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Tragedy

समय

समय

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ये समय भी कैसा खेल कर गया,

मुझे मुसीबतों के पहाड पर बैठा दिया,

मुझे हमेशा अकेला बना दिया।


धन दौलत मेरी सब छीनवां लिया,

मुझे पायमाल बनवाकर रह गया,

मुझे हमेशा अकेला बना दिया।


मेरी महेबूबा को मुझसे दूर किया,

मेरे प्यार को नफ़रतमें बदल दिया,

मुझे हमेशा अकेला बना दिया।


मेरी महेफ़िल को वीराना बना दिया, 

दोस्तों को भी मुझसे दूर हटा दिया,

मुझे हमेशा अकेला बना दिया।


अब कहीं भी न मेरा कोई सहारा रहा,

तब मैने खूदा की दिल से बंदगी किया,

"मुरली" को खूदा ने सहारा दे दिया ।



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