समय का अस्तित्व
समय का अस्तित्व
समय
घड़ी का कांटा नहीं
कि रोके से रुक जाए।
मुर्गे की बांग नहीं
सूरज का उगना तय है -
सुबह होती है।
चांद दिखे ना दिखे
रात का होना तय है -
रात होती है।
समय -
अखंड, निरंतर गतिमान,
निशि दिन का चक्र घूमता अविराम
तोड़ कर घटकों में, घड़ियों में
समय को बांधने के
अनादिकाल से किए हमने कितने ही
निष्फल प्रयास !
अशरीरी, ईथरी समय
अपनी ही गति चला करता है,
न होकर भी
सदैव हमारे आस – पास रहता है।
तुमसे मेरा नहीं
मुझसे तुम्हारा अस्तित्व है
बोध यही निरंतर कराता रहता है।
