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Dr. Anu Somayajula

Abstract

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Dr. Anu Somayajula

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समय का अस्तित्व

समय का अस्तित्व

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समय

घड़ी का कांटा नहीं

कि रोके से रुक जाए।

मुर्गे की बांग नहीं

सूरज का उगना तय है -

सुबह होती है।

चांद दिखे ना दिखे

रात का होना तय है -

रात होती है।


समय -

अखंड, निरंतर गतिमान,

निशि दिन का चक्र घूमता अविराम

तोड़ कर घटकों में, घड़ियों में

समय को बांधने के

अनादिकाल से किए हमने कितने ही

निष्फल प्रयास !


अशरीरी, ईथरी समय

अपनी ही गति चला करता है,

न होकर भी

सदैव हमारे आस – पास रहता है।

तुमसे मेरा नहीं

मुझसे तुम्हारा अस्तित्व है

बोध यही निरंतर कराता रहता है।


   

 


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