समर भूमि
समर भूमि
चंदन से भी ज्यादा पावन,
यह समर भूमि की माटी हैI
बलिदान सपूत हुए जिसमें,
वह धन्य धरा की छाती हैI
यहां लहू बहा है वीरों का,
यह सबसे पावन माटी है I
कश्मीर स्वर्ग सिरमौर राष्ट्र
आहत निदान की साँटी हैI
सैनिक हैं जो प्रहरी हैं वो,
सैनिक शक्ति सरहद के वो I
परिवार के बने सहारे वो,
मां-बाप के वीर दुलारे वो I
भारत की रक्षा की खातिर,
मरने वाला कोई और नहीं I
देखो उनको सरहद पर तुम,
जिनको प्राणों का मोह नहीं I
हो राजतंत्र या लोकतंत्र
सेना की एक ही भाषा है I
मिट जाओ कर्म भूमि पर तुम
सैनिक की यह परिभाषा है I
जिस दिन सैनिक बन जाते हैं,
वह कफ़न से हाथ मिलाते हैंI
ना जाने कब अंतिम क्षण हो,
वह बिना कहे रम जाते हैं I
तब लाख बुलाओ तुम उनको,
चाहे कितना भी रुदन करोI
लेकिन वीरों की दीवानी ,
कहती धर्मा अचला रानी I
मेरे वीरों तुम अमर रहो ,
तुम चिर निद्रा में यहीं रहो II
