समंदर और मेरा मन
समंदर और मेरा मन
कहते हैं समंदर है गहरा... बहुत गहरा...
पर मेरे दिल की गहराइयाँ,
क्या समंदर माप पाएगा कभी??
अथाह जल है इसमें खारा.. बेहद खारा..
पर मेरे आंसुओं से खारा,
क्या हो पाएगा कभी??
चांद का आकर्षण बांधता है इसे,
देता है उतार - चढ़ाव..
मेरे चांद का बिछोह,
जो लाता है सैलाब...
कर पाएगा समंदर,
क्या मुकाबला कभी...???

