समझा जो होता
समझा जो होता


समझा जो होता
मेरी विवशता और
उलझनों को।
जाना जो होता
मेरी सीमा और
बंधनों को।
थामा जो होता
मेरी ख्वाहिशों और
अरमानों को।
पाया जो होता
मेरे मन की
गहराइयों को।&nb
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सोचा जो होता
मेरी धडकनों और
सांसों को।
महसूसा जो होता
मेरे प्यार और
भावनाओं को।
यूँ चले न जाते
इक पुकार के इंतजार में,
पलटकर देखते तो पाते
ठिठके पड़े शब्द
विवशताओं के उलझे धागे में फंसे।