समझ की समझ
समझ की समझ
कुछ रोज पहले की बात है
उनसे बातें शुरू हुईं
फिर मुलाक़ातें शुरू हुईं,
फिर आवाजाही का
सिलसिला शुरू हुआ,
जाने फिर क्या हुआ
वो नाराज़ हो गए,
बातें बन्द हो गईं
मुलाक़ातें बन्द हो गईं,
फिर आवा जाही का
सिलसिला भी बंद हो गया,
बहुत सोचने और गौरतलब
होने पर यह पाया है
उनका दिमाग - दिमाग नहीं,
शको सुबा का एक सरमाया है
किसी ने कुछ कह दिया
उन्हें बस वही समझ में आया,
उनके पास जो दिमाग है
वो उन्होंने बेच खाया है,
सच कहूँ तो अब पता चला
हमारे बुज़ुर्गों ने बिल्कुल सही फ़रमाया है,
उनको समझना कोई खेल नहीं है
जो समझ गया वो भी
आख़िर कहाँ समझ पाया है।
