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Kavita Yadav

Tragedy

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Kavita Yadav

Tragedy

समाज की बिटिया

समाज की बिटिया

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सत्य की अनभूति किसे नही होती है

क्या वो एक बेटी हैं तो जी जिंदगी नही जी सकती है

आखिर समाज की उसी पर क्यों इतनी सख्ती होती है

वो बेटी नही बोझ क्यो होती है

वो पूरा जीवन क्यो रोती है

आखिर वो भी इंसान है सिर्फ बेटी ही थोड़ी है।

जरा सी बड़ी हुई नही की 

की सबकी नजरें पड़ने लगी हैं छोटी

छूने से पहले लोग क्यो नही सोचते

आखिर उनकी भी हैं कोई बेटी

कपड़ो की लंबाई से ज्यादा

यहाँ लोगो की सोच क्यों हैं छोटी

लोगो का मानना है

अजी छोड़िये साहब ये अपनी थोड़ी ही हैं बेटी

खाने की शौकीन हो तो एक 

प्रश्न इतनी मोटी क्यों हैं

थोड़ी स्लीपर की ऊँचाई अधिक हो तो एक

प्रश्न इतनी नाटी क्यों हैं

समाज बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ क्यो हैं

समाज बेटा पढ़ाओ अच्छे संस्कार दो 

देश देश बचाओ।

आज फिर से मेरे हाथों पर चुप्पी क्यों है

मैं बेटी हूँ अब भी यह बात सबसे छुपी क्यो हैं

देख जमाने की हरकत ने नैन गीले कर दिए

घरवालों ने आज फिर मिलकर लड़की के हाथ गीले कर दिए


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