ऐसे भी होते हैं लड़के ...
ऐसे भी होते हैं लड़के ...
कोई नहीं जानता कि कितने दर्द सहते,
लड़के अपने मर्ज़ी के होते सब कहते।
क्या सच में ऐसा होता लड़को को जीवन में आराम,
सच पूछिये उनसे ज्यादा कोई भी नहीँ जीवन में परेशान।
हृदय करे कि अलग रंग गुलाबी -लाल कपड़े वह भी पहने,
पर क्या करे समाज के नियम-कानून के तो कुछ और ही कहने
माँ की दवाएं है ,तो पिता की जोड़ो का दर्द
भाई की पढ़ाई तो बहन की बिदाई
सब का बोझ उठाते हैं,चाहे जो भी समस्या हो हर-हाल में मुस्कुराते है।
घर के बाहर के संघर्ष और हृदय के भीतर के तकलीफ को बडी ही आसानी से छुपाते हैं,
पिता के समाज मे दिए हर संकल्प को निभाते।
अपने जीवन के दर्द को भला वो कहा बताते
माँ की सेवा ऐसे करते मानो कोई नन्ही सी गुड़िया हो,
माँ में हर सुख ढूढते मानो उसी में पूरी दुनिया हो।।
भाई को किसी चीज की कमी न होने देते ,
अपने भले ही एक जोड़ी जूते में खुश हो लेते।
बहन की चोटी सवारते, माँ का पूरा प्यार देते,
बहन नही मानो बेटी हो, अपना सारा सुख उस पर वार देते
सुबह के निकले शाम को घर आते
ये लड़के है साहब अपना दुःख किसी को न बताते।
दिन से लड़ते रातों में संघर्ष करते
माँ पिता से कभी ऊँची आवाज में बात तक नहीं करते,
ऐसे भी होते हैं लड़के.....