फिलहाल....एक 'संम्भावना' से ज्यादा कुछ नहीं....तब तक कुछ होने/बनने/करने कि.....जुगत में !
हम कालेजों से घरों में क्या बैठे ज्ञान जैसे लगता है कोसों दूर। हम कालेजों से घरों में क्या बैठे ज्ञान जैसे लगता है कोसों दूर।
महीने की तनख्वाह में सिमट में रह जाता किसी का बचपन महीने की तनख्वाह में सिमट में रह जाता किसी का बचपन
प्रकृति से लेकर सबसे पूछ आये, है माँ से प्यार कहीं और तो कोई मुझे भी बताए। प्रकृति से लेकर सबसे पूछ आये, है माँ से प्यार कहीं और तो कोई मुझे भी बताए।
क्या वो एक बेटी हैं तो जी जिंदगी नही जी सकती है । क्या वो एक बेटी हैं तो जी जिंदगी नही जी सकती है ।
दहेज की फीते का कितना बड़ा नाप हैं, दहेज की फीते का कितना बड़ा नाप हैं,
सच पूछिये उनसे ज्यादा कोई भी नहीँ जीवन में परेशान। सच पूछिये उनसे ज्यादा कोई भी नहीँ जीवन में परेशान।
शब्द अच्छे निकल जाते हैं। आज का युग है, शब्दों में भी मिलावट न जाने कहाँ से लाते हैं। शब्द अच्छे निकल जाते हैं। आज का युग है, शब्दों में भी मिलावट न जाने कहाँ स...
संघर्षों से हर पल मित्रता करना सिखाया, मुझे कविता से कवि तक के सफर में बिठाया! संघर्षों से हर पल मित्रता करना सिखाया, मुझे कविता से कवि तक के सफर में बिठाया...
बने जिस देश की नारी गुणकारी, मैं ऐसी खुद्दारी लिखती हूँ। बने जिस देश की नारी गुणकारी, मैं ऐसी खुद्दारी लिखती हूँ।
चला शब्दों का बाण ही वरना आज की चर्चा संसद में किसने खींची किसकी चोटी चला शब्दों का बाण ही वरना आज की चर्चा संसद में किसने खींची किसकी चोटी