Kavita Yadav
Literary Colonel
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फिलहाल....एक 'संम्भावना' से ज्यादा कुछ नहीं....तब तक कुछ होने/बनने/करने कि.....जुगत में !

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आ तुझे बनारसी इश्क़ की एक साम दिखाऊं, एक करक चाय और एक मीठा पान खिलाऊं... भोजपुरी में आज तोहरा के कउनो गाना सुनाऊ

सब कुछ हैं अनित्य , नित्य हैं महज मुलाकाते ये बात कुछ लफ्ज़ो की है यकीन मानिए ये मेरे जीवन के अमूल्य राते हैं बस किताबों के पन्नों की खुशबु और साथ लक्ष्य पाने की ये अभी कुछ नन्हीं सी शुरउआते हैं।।

गरीबी लड़ती रही ठण्ड हवाओं से .... गौर कीजियेगा अमीरों ने कहा वाह क्या मौसम आया है.....

गरीबी लड़ती रही ठण्ड हवाओं से .... गौर कीजियेगा अमीरों ने कहा वाह क्या मौसम आया है.....

गरीबी लड़ती रही ठण्ड हवाओं से .... गौर कीजियेगा अमीरों ने कहा वाह क्या मौसम आया है.....

गरीबी लड़ती रही ठण्ड हवाओं से .... गौर कीजियेगा अमीरों ने कहा वाह क्या मौसम आया है.....

जिंदगी की समस्याएं कोरोना जैसी हैं... मदद करने वाले 'बार्डर पर खड़ी बसों' की तरह... और उनकों सुलझाने का रवैया 'सरकार' के माफिक

मैं एक नन्हीं सी जान हूँ मैं अभी एक नन्हीं सी पहचान हूँ मुझे सम्भाल कर उठाना पापा, मैं आपकीं सन्तान हूँ। मैं आने वाली नारी का, एक गीत की तान हूँ, तुम उदास न होना माँ, मैं अब भी तुम्हारी संतान हूँ।। आने वाले युग का नया सिद्धान्त हूँ मैं अभी सिर्फ एक नन्हीं सी जान हूँ

महिला होने की इजाजत अगर जिस दिन महिलाएं वास्तव में माँग लेंगी , पुरूष समाज की धरोहर की नींव उसी वक्त कमजोर पड़ जाएगी। रंगों के चुनाव से लेकर संसद के चुनाव तक , गृह से लेकर गृह मंत्रालय तक सबकी तब खबर छापी जाएगी।


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