एक नया दौर..
एक नया दौर..
देखो एक नया दौर आया।
जब खुद अभिभावकों ने बच्चों के हाथों में मोबाइल पकड़ाया।।
जिंदगी को देखने ये कोरोना एक नया नजरिया लाया।
आपदा को शायद इसी राह ने अवसर में तबदीली कराया।।
है कुछ धुंध और धुआँ भी जरूर ।
जब लोगों में आया मास्क और दो गज दूरी का सुरूर।।
हम कालेजों से घरों में क्या बैठे ज्ञान जैसे लगता है कोसों दूर।
पर हमने घर बैठे भी शिक्षा ली चाहे कालेज हो कोसों दूर।।
चलो फिर के एक गुरु द्रोणाचार्य को ढूंढे।
खुद में एक अर्जुन तो एक एक कर्ण को गूढे।।
किताबें कल भी थी, आज भी है, कल भी रहेंगी ।
यह पुरानी ही सही किन्तु सच्ची बात रहेंगी।।
