प्रिय महामना :धन्यवाद महामना
प्रिय महामना :धन्यवाद महामना
क्या अद्धभुत स्थान है
जहाँ अलग-अलग जाति-पति
फिर भी दिलो में बसता इंसान है,
सदियों से पढ़ रहे हजारो बच्चे
इस स्थान के हृदय से सच्चे,
जहाँ सब एक साथ रहते
जिसे महामना की बगिया कहते।
इस स्थान से निकले
हर विद्यार्थी में बदलाव आया है,
महामना के हर अध्यापक ने न
जाने कितनों को विद्वान बनाया है ।।
कहीं इंजीनियरिंग, कहीं डाँक्टरी
न जाने कितने विषयों की होती पढ़ाई,
हर स्त्री शिक्षा लेकर अदालत हो या घर
इंसाफ करती नजर आयी।
पत्रकारिता का महत्व यहाँ समझ आया
हाँ ये बात सच है, भूत पिशाच की नए विषय
से जरा हृदय घबराया,
कोई संगीत में लोहा मानवता
कोई दर्शन पढ़ जीवन का मोक्ष बतलाता।।
हर भाषा की इज्ज़त होती जहाँ,
भोजपुरी को भी उतना ही मान-सम्मान
मिलता वहाँ।
हृदयगात धन्यवाद ! महामना करती हूं ,आपको
जिसकी छत्र-छाया में हर पल मुश्किलों से लड़ना सिखाया
संघर्षों से हर पल मित्रता करना सिखाया,
मुझे कविता से कवि तक के सफर में बिठाया
धन्यवाद महामना,
हम सब को बहुत कुछ सीखाया।।
