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achla Nagar

Fantasy

4  

achla Nagar

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सलोने मोर

सलोने मोर

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अहो सलोने मोर, पंख अति सुंदर तेरे,

रँगित चंदा लगे गोल अनमोल घनेरे।


हरा, सुनहला, चटकीला, नीला रंग सोहे,

रेशम के सम मृदुल बुनावट मन को मोहे।


सिर पर सुघर किरीट नील कल-कंठ सुहावे,

पंख उठाकर नाच, तेरा अति जी को भावे।


‘के का’ करके विदित श्रवण प्रिय तेरी बानी,

जरा सुना तो सही वही हमको रस सानी।


बादल जब दल बाँध गगन तल पर घिर आवै,

स्याम घटा की छटा सकल थल पर छा जावे।


तब तू हो मदमत्त मेघ को नृत्य दिखावे,

अति प्रमोद मन आन हर्ष के अश्रु बहावे।


मोरी मोतियन की माला लेले,

औ' मुझे अपना सखा बना ले। 


ऐसा अपना नाच दिखा हमको भी प्यारे,

जिसे देख रे मोर ! मोद मन होय हमारे।


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