सिर्फ तू
सिर्फ तू
इन हवाओं में भी तू
इन घटाओं में भी तू
इस धूप में भी तू
उस छांव में भी तू।
दर्पण में मेरा अक्स भी तू
जुल्फों की लटों में भी तू
हाथों की लकीरों में तू
पैरों की चाल में भी तू।
सूरज की लालिमा भी तू
चांद की चांदनी तू
वो जो अंगड़ाई लेते
समय मस्ती आती है ना
उस मस्ती में भी तू।
वो जो रात के समय घड़ी की
आवाज़ होती है ना
उस शांत सी टिक टिक में है तू
मेरी हर बात का ज़िक्र है तू।
मेरी हर अदा के पीछे तू
मेरी प्रेम भावनाएं पल पल सींचे तू
पक्षियों की गुनगुनाहट में तू
अचानक हुई सरसराहट में है तू।
मेरी हर दुआ में तू
बारिश की बौछार में तू
गिरती बूंदों की छुअन में भी तू
बदन की मीठी अगन में है तू।
मेरे दिन भर की थकन में है तू
मेरे खाली समय में भी मैं खाली नहीं
खाली समय के शांत सन्नाटे में भी तू
मैं बिन तेरे कुछ भी नहीं
मेरे इस मैं में भी तू।
जीना तेरे बिन संभव तो है
पर इस गतिमान हृदय में भी तो है तू
तू ही मेरा अस्तित्व है
तुझसे हूं मैं और मुझसे है तू।