दीवाली ही तो है
दीवाली ही तो है
दीवाली ही तो है
दिए जलें या नफरत
क्या फर्क पड़ता है।
दीवाली ही तो है
चिराग रोशन हों या
रिश्ते क्या फर्क पड़ता है।
दीवाली ही तो है
घर जगमग हो या
अपनों के दिल
क्या फर्क पड़ता है।
दीवाली ही तो है
रंगों की रंगोली हो या
किसी की हंसी की
क्या फर्क पड़ता है।
दीवाली ही तो है
घर साफ हों या सबके मन
क्या फर्क पड़ता है।
दीवाली ही तो है
पटाखों की चमक हो या
किसी की आंखों में खुशी की
क्या फर्क पड़ता है।
दीवाली ही तो है
मिठाई की मिठास हो या
अपनों के प्यार की
क्या फर्क पड़ता है
हां दीवाली ही तो है।