ये ज़रूरी तो नहीं
ये ज़रूरी तो नहीं


ये ज़रूरी तो नहीं जैसे सब हैं वैसे हम भी हों
ये ज़रूरी तो नहीं सबकी ज़िन्दगी में कोई ग़म ही हो
हाँ मैं नहीं बोल पाती हूं
सबके आगे दिल को नहीं खोल पाती हूं
मुझे नहीं अच्छा लगता सबकी अच्छाई बुराई करना
नहीं पसंद सबकी ज़िन्दगी में हस्तक्षेप करना
हाँ मैं नहीं समझ पाती किसी का सच या मज़ाक
हाँ मैं नहीं चाहती अपने हर मामले में किसी की नाक
पर जब खुल जाती हूं तो सब बता जाती हूं
क्या बताना है क्या छुपाना है सब भूल जाती हूं
पर लोग छोटी बात को बड़ा बताते हैं
किसी भी बात का असली स्वरूप छुपाते हैं
पहले विश्वास में ले के दिल का हाल जानते हैं
फिर उसी बात का मज़ाक उड़ाना चाहते हैं
खुद कुछ कहें तो उसे मज़ाक मान जाते हैं
हम मज़ाक करें तो बुरा मान जाते हैं
पर ये ज़रूरी तो नहीं कि सभी का ये ही स्वभाव हो
ज़रूरी तो नहीं कि सब में घमंड का भाव ही हो
ये ज़रूरी तो नहीं जैसे सब हैं वैसे हम भी हों
ये ज़रूरी तो नहीं सबकी ज़िन्दगी में कोई ग़म ही हो