तस्वीर
तस्वीर
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एक तस्वीर खींचनी है मुझे
मेरे सपनों की
जो कहीं खो गए हैं
मेरे अपनों की
जो बस मेरे हो गए हैं
उस बचपन की
जिसमें कोई फिक्र ना थी
सिर्फ मां बाप का दुलार
और उनकी लाड़ थी
उस ख्वाब की जो देखा करती थी
पर जो कभी पूरा ना होने के लिए टूट गया
काश बस एक तस्वीर देख लूं
उन पलों की जिनके लिए
हर पल मरा करती थी
उस ख्वाब की
जो दिन रात देखा करती हूं
पता नहीं पूरा हो या न हो
पर बस तस्वीर ही देख लूं
इतना हक तो रखती हूं
इन तस्वीरों से ज़िन्दगी को ज़रा जी तो लूं
वरना तो बस कट रही है
ज़रा सा अपने मन का भी होता देख लूं
क्या पता जो हो रहा है वही सही है
क्योंकि कहते हैं ना
भगवान अगर आपकी इच्छा पूरी नहीं करता
तो उसने आपके लिए कुछ और अच्छी लिखी है