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Seema Saxena

Romance

5.0  

Seema Saxena

Romance

सिर्फ तुम हो

सिर्फ तुम हो

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कितने सारे अनुभव 

कितनी सारी स्मृतियाँ

मन में उमड़ती घुमड़ती रहती हैं 

मैं तुम्हें याद नहीं करती 

पर रहते हो हर वक्त यादों में

मैं सुनती नहीं अपनी धड़कनें 

फिर भी कहती रहती हैं तुम्हें ही


डर जाती हूँ अक्सर 

इतनी हिम्मत होते हुए भी 

बिखर जाती हूँ मैं 

भटकती नहीं हूँ कभी 

रोते रोते धुंधला जाता है सब कुछ 

और हो जाती हूँ

इतनी पाक साफ 


कि लगता ही नहीं कि मेरा शरीर भी बचा है 

सिर्फ आत्मा रह गयी है 

जो प्रेम से सराबोर है 

रंग में रंगी हुई है 

किसी आनंद के सागर में गोते लगा रही है 


सारे दुख सारे कष्ट 

कहीं खो गए हैं 

सिर्फ बचा है तो सुख 

खुशी और मुस्कान 

हाँ प्रिय यही तो सच है मेरा 

और रहेगा हमेशा 

जन्म जन्मांतर तक


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