लटें
लटें
उलझती है लटें जो चेहरे पे बिखर कर
सुलझाने की दिल में न तमन्ना कोई।
छुपे छुपे हैं आँखों में जो सुहाने सपने
हैं राहें भी अपनी और दिन भी अपने।
न तुमने भुलाया न हमने भुलाया
यह मंजिल अपने साथ ही साथ है।
मिल गए यूँ ही अचानक से ही तुम
जान आयी जिस्म में रूह को सुकूँ।
पढ़ ली आँखें मेरी सुने शिकवे गिले
कोई तो बात है जो नम आँख तेरी।
रख लिया सीने पर सिर मुस्कुराए लब
बार बार नजर चुरा के देखा फिर मुझे।
जुड़ गये तार वीणा के बजी रागिनी
धड़का जो दिल मिल के एक राग में !