Seema Saxena
Romance
प्रेम कविता
तुम सिर्फ मेरे
हाँ प्रिय तुम सिर्फ मेरे
और रहोगे सदा मेरे....
इंतजार में
सिर्फ तुम हो
तुम सिर्फ मेर...
लटें
अहसास
नागिन जैसी चाल मुझे बहुत रिझाती है नागिन जैसी चाल मुझे बहुत रिझाती है
मेरी साँस साँस बहते हो मेरी कल्पना की गलियों में तुम ही तुम क्यूँ रमते हो। मेरी साँस साँस बहते हो मेरी कल्पना की गलियों में तुम ही तुम क्यूँ रमते हो।
इतना भी आसान नहीं होता लौटना पुराने दिनों में! इतना भी आसान नहीं होता लौटना पुराने दिनों में!
ये चिंताओं का रूखापन कब तक सोख सकेगा प्रेम की स्निग्धता ! ये चिंताओं का रूखापन कब तक सोख सकेगा प्रेम की स्निग्धता !
व्यथा को कुछ यूँ छिपाया मुस्कुराया मैंने पूरा ! व्यथा को कुछ यूँ छिपाया व्यथा को कुछ यूँ छिपाया मुस्कुराया मैंने पूरा ! व्यथा को कुछ यूँ छिपाया
सर्दी का मौसम और रुहानी शाम गर्म चाय की प्याली और उनका साथ। सर्दी का मौसम और रुहानी शाम गर्म चाय की प्याली और उनका साथ।
जब सुब्ह हुई आई जब साँझ ढली आई है याद तेरी तुझ सी बेबाक चली आई । जब सुब्ह हुई आई जब साँझ ढली आई है याद तेरी तुझ सी बेबाक चली आई ।
मुझे बहुत पसन्द हैं तुम्हारी लम्बी खूबसूरत उंगलियां! मुझे बहुत पसन्द हैं तुम्हारी लम्बी खूबसूरत उंगलियां!
सुना था परमात्मा की कहानियां देवत्व की कथाएँ और देख रहे हैं सबको बदलते हुये। सुना था परमात्मा की कहानियां देवत्व की कथाएँ और देख रहे हैं सबको बदलते ...
क्या तुम अंतरिक्ष हो मेरे भीतर के, जिसमें गुम हूँ मैं! क्या तुम अंतरिक्ष हो मेरे भीतर के, जिसमें गुम हूँ मैं!
आ फिर से जी के देखें, हम अपनी वो जवानी, बन जाए फिर से शायद, इक प्यारी सी कहानी। आ फिर से जी के देखें, हम अपनी वो जवानी, बन जाए फिर से शायद, इक प्यारी सी कहान...
लिखे धरम कवि कविता तुझ पर यौवन रूप की करके गणना। लिखे धरम कवि कविता तुझ पर यौवन रूप की करके गणना।
जैसे दो जिस्म एक जां है ज़हन में तेरा दख़ल कुछ यूँ बढ़ गया है। जैसे दो जिस्म एक जां है ज़हन में तेरा दख़ल कुछ यूँ बढ़ गया है।
संभवतः तुम्हारे लौट आने से लौट आएंगे - बादल, बारिश और चिड़ियां हरे जंगलों में ! संभवतः तुम्हारे लौट आने से लौट आएंगे - बादल, बारिश और चिड़ियां हरे जंगलों ...
कहां गुम हो ! कब से ढूंढ रही तुमको व्यस्तताओं के घने जंगल में। कहां गुम हो ! कब से ढूंढ रही तुमको व्यस्तताओं के घने जंगल में।
अनुभव किया है तुम्हें कितनी बार मगर तुम अभी होते हो अभी नहीं। अनुभव किया है तुम्हें कितनी बार मगर तुम अभी होते हो अभी नहीं।
अश्कों के सुनामी कितने देर रात तकिए के गिलाफ़ पर, जज़्ब करता है तू भी! अश्कों के सुनामी कितने देर रात तकिए के गिलाफ़ पर, जज़्ब करता है तू भी!
हम किताबों में अब ढूँढे जाने लगे जाने कब, क्या हुआ, कुछ ख़बर ना लगी। हम किताबों में अब ढूँढे जाने लगे जाने कब, क्या हुआ, कुछ ख़बर ना लगी।
मैं कहना चाहता हूँ, कि इश्क़ से मेरा अभिप्राय, कल तुम थी, आज तुम हो ... मैं कहना चाहता हूँ, कि इश्क़ से मेरा अभिप्राय, कल तुम थी, आज तुम हो ...
तुम्हीं राधा तुम्हीं रूक्मिणी तुम्हीं मीरा दीवानी हो। तुम्हीं राधा तुम्हीं रूक्मिणी तुम्हीं मीरा दीवानी हो।